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श्री सुप्तेश्वर गणेश मंदिर



रिद्धि सिद्धि के दाता सर्वत्र प्रथम पूज्य भगवान श्री सुप्तेश्वर  गणेश जी का देवों में दिव्य स्थान है, श्री सुप्तेश्वर गणेश मंदिर जबलपुर के एतिहासिक स्थल रानी दुर्गावती के किले के पास एकता विहार रतन नगर रोड में स्थित है| यह एक ऐसा देव न्यायालय है जहाँ दीन-दु:खी, बाधाओं से पीड़ित व्यक्ति अपनी मनोकामनाएँ  को पूर्ण करने के लिए भगवान श्री सुप्तेश्वर गणेश के पास आकर अपनी प्रार्थना करते है और भगवान श्री सुप्तेश्वर गणेश जी भक्तों पर कृपा करके सबके काम शीघ्र पूर्ण करते हैं| इस अलौकिक स्थान में श्री सुप्तेश्वर गणेश जी अपनी पूर्ण शक्तियों, माँ वैष्णव देवी के साथ विराजमान हैं|


श्री सुप्तेश्वर गणेश जी का स्वरुप



मैं गणपति निज मूर्ति के रूप में प्रकट हुआ हूँ मेरा वाहन सफेद अश्व (जैसा नीचे मंदिर में हैं) है पर वह अदृश्य है | मैं केवल चेहरे तक दृश्य हूँ बांकी पृथ्वी के अंदर हूँ | मेरी मूर्ति इस रूप में है इसी रूप में रहने दें परिवर्तन न करें मैं यहाँ सदैव रहूँगा | मेरे सन्देश पर चलकर लोगों के विचार में परिवर्तन आयेगा तथा पृथ्वी का लय नहीं होगा | जो मेरे इस रूप पर घी, सिन्दूर लगायेगा उसे मेरा सदैव आशीर्वाद रहेगा | जैसे - जैसे श्रद्धालु दर्शन को आयेंगे जबलपुर की कीर्ति बढेगी |

 श्री सुप्तेश्वर गणेश की स्थापना कैसे हुई?

   श्री सुप्तेश्वर गणेश (सिद्ध विनायक) कल्की निज मूर्ती सन 1985 में मुझे स्वप्न में एक बहुत विशाल काय काष्ठ (लकड़ी) का दरवाजा उसमें से एक तेज पुंज नीले पीताम्बर पीले रंग का शेला (दुपट्टा ) गले में जनेऊ और सर पर मुकुट धारण किये बहुत विशाल रूप में गणेश जी प्रकट हुए और भारी जनसमूह के बीच से मुझे ( मैं सुधा अविनाश राजे ) हाथ से इशारा कर पास बुलाया और मस्तक मेरी और बढ़ा कर कहा मुझे तिलक करों मैंने तिलक रोली अक्षत लगाया और वे अंतर्ध्यान हो गए तभी मेरी नींद टूटी गई |
      27 दिसम्बर 1988 रात में मुझे स्वप्न में जोर जोर से छैनी- हथोड़े कि आवाजें डायनामाईट फटने कि आवाज चट्टानें पहाड़ियां फोड़ी जा रही है कि आवाजें आने लगी इसी बीच एक पहाड़ी पर साक्षात गणेश जी विराजमान है और मुझे आदेश दे रहे कि यहाँ मेरी स्थापना करो |

 श्री सुप्तेश्वर गणेश जी का महाअभिषेक

   कल्कि अवतार निज मूर्ति

  माँ वैष्णव देवी

  सुप्तेश्वर गणेश